Geeta Shlok With Meaning In Hindi: भगवत गीता के प्रसिद्ध श्लोक भावार्थ सहित

Geeta Shlok With Meaning In Hindi: भगवत गीता के प्रसिद्ध श्लोक भावार्थ सहित

Geeta Shlok With Meaning In Hindi: महाभारत भारत का एक अद्वितीय काव्य ग्रंथ है, जिसके रचयिता महर्षि वेदव्यास थे। इस महाकाव्य के युद्धक्षेत्र, कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए, वे “भगवत गीता” के रूप में विख्यात हैं। गीता न केवल भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है, बल्कि यह जीवन के सभी … Read more

Sanskrit Shlok With Meaning: बच्चों के लिए 10 छोटे संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

Sanskrit Shlok With Meaning: बच्चों के लिए 10  छोटे संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

Sanskrit Shlok With Meaning: संस्कृत के श्लोकों का हमारे जीवन में विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि वेदों, पुराणों और धर्मग्रंथों में लिखे गए संस्कृत श्लोकों का नियमित उच्चारण जीवन में सकारात्मकता और शांति ले कर आता है। विद्यार्थियों को विशेष रूप से ऐसे श्लोकों का अभ्यास करने की सलाह दी जाती है जो उनके ज्ञान और ध्यान में वृद्धि करते हैं।

जैसे विद्यालय में पढ़ाई शुरू करने से पहले गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है, वैसे ही छोटे संस्कृत श्लोक with Meaning याद करना विद्यार्थियों के मानसिक विकास और एकाग्रता के लिए लाभकारी माना जाता है। हालांकि, केवल श्लोकों का उच्चारण भर जीवन में सफलता नहीं दिलाता, लेकिन इनसे मनोबल बढ़ता है, सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

छोटे संस्कृत श्लोक | Sanskrit Shloka For Students

Sanskrit Shlok With Meaning

1. Sanskrit Shlok

संतोषवत् न किमपि सुखम् अस्ति।

हिंदी अर्थ: संतोष के समान कोई सुख नहीं है।

English Meaning: There is no happiness like contentment.

2. Sanskrit Shlok

मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः।

हिंदी अर्थ: मन ही मनुष्यों के बंधन और मुक्ति का कारण है।

English Meaning: Mind is the reason for bondage and liberation of human beings.

3. Sanskrit Shlok

 सत्यं अपि तत् न वाच्यं यत् उक्तं असुखावहं भवति।

हिंदी अर्थ: वह सत्य भी नहीं कहना चाहिए जो दुःख देने वाला हो।

English Meaning: Even the truth that causes pain should not be told.

4. Sanskrit Shlok

 अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम्। 

अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतः सुखम्।|

हिंदी अर्थ: आलसी को ज्ञान नहीं मिलता, अज्ञानी को धन नहीं मिलता, निर्धन को मित्र नहीं मिलता और जिसका कोई मित्र न हो, उसे सुख नहीं मिलता।

English Meaning: The lazy person does not get knowledge, the ignorant person does not get wealth, the poor person does not get a friend and one who has no friends does not get happiness.

5. Sanskrit Shlok

 येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

हिंदी अर्थ: जिससे महान शक्तिशाली दानवों के राजा बंधे थे,उसी रक्षा सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा, हे रक्षा, तुम दृढ़ रहो, दृढ़ रहो। 

English Meaning: With which the kings of great powerful demons were tied, I tie you with the same protective thread, which will protect you, O Raksha, you stay strong, stay strong.

6. Sanskrit Shlok

परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम्।

हिंदी अर्थ: परोपकार करना पुण्य है, और दूसरों को कष्ट देना पाप है।

English Meaning: Doing charity is virtue, and causing pain to others is a sin.

7. Sanskrit Shlok

दारिद्रय रोग दुःखानि बंधन व्यसनानि च।

आत्मापराध वृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्।

हिंदी अर्थ: गरीबी, रोग, दुःख, बंधन और बुरे व्यसनों का कारण व्यक्ति के अपने कर्मों के पेड़ का फल है।

English Meaning: Poverty, disease, misery, bondage and bad addictions are the fruits of one’s own karma tree.

8. Sanskrit Shlok

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।

गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।

हिंदी अर्थ: गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं, गुरु शिव हैं। गुरु साक्षात परब्रह्म हैं। ऐसे गुरु को नमन।

English Meaning: Guru is Brahma, Guru is Vishnu, Guru is Shiva. Guru is the Supreme Being. Salute to such a Guru.

9. Sanskrit Shlok

त्वमेव माता च पिता त्वमेव। त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।

त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव। त्वमेव सर्वं मम देव देव।|

हिंदी अर्थ: आप ही मेरी माता, पिता, बंधु और सखा हैं। आप ही मेरी विद्या, धन और सब कुछ हैं।

English Meaning: You are my mother, father, brother and friend. You are my knowledge, wealth and everything.

10. Sanskrit Shlok

धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः।

तत्त्वेभ्यः सर्वशास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते।

हिंदी अर्थ: धर्म को जानने वाले, धर्म का पालन करने वाले और धर्म में सदा अनुरक्त व्यक्ति को गुरु कहा जाता है।

English Meaning: A person who knows the religion, follows the religion and is always devoted to the religion is called a Guru.

11. Sanskrit Shlok

पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।

पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः।

हिंदी अर्थ: पिता धर्म हैं, पिता स्वर्ग हैं और पिता ही परम तप हैं। पिता के प्रसन्न होने पर सभी देवता प्रसन्न हो जाते हैं।

English Meaning: Father is religion, father is heaven and father is the ultimate penance. When father is happy, all the gods become happy.

12. Sanskrit Shlok

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।

नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।

हिंदी अर्थ: आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। परिश्रम जैसा मित्र कोई नहीं, जो परिश्रम करता है, वह कभी दुखी नहीं होता।

English Meaning: Laziness is man’s biggest enemy. There is no friend like hard work. One who works hard is never unhappy.

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Sampurna Pushpanjali Mantra : आरती के बाद संपूर्ण पुष्पांजलि मंत्र PDF

Sampurna Pushpanjali Mantra : आरती के बाद संपूर्ण पुष्पांजलि मंत्र PDF

Sampurna Pushpanjali Mantra Lyrics : पुष्पांजलि मंत्र एक ऐसा महत्वपूर्ण मंत्र है जिसका प्रयोग देवताओं को पुष्प अर्पित करते समय किया जाता है। इस मंत्र का उच्चारण विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों जैसे हवन, पूजन, आरती, गृह प्रवेश और अन्य पूजा विधियों के दौरान देवताओं को पुष्पांजलि समर्पित करने के लिए किया जाता है। इसका धार्मिक महत्व प्राचीन मान्यताओं से जुड़ा है, जहाँ माना जाता है कि पूजा तभी पूर्ण होती है जब मंत्र पुष्पांजलि अर्पित की जाती है। इस प्रक्रिया में, फूलों को देवताओं के नाम और मंत्रों के साथ अर्पण किया जाता है।

आरती के बाद संपूर्ण पुष्पांजलि मंत्र (Lyrics  Sampurna Pushpanjali Mantra)

प्रथम: Pushpanjali Mantra

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।

ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा: ॥

इस पुष्पांजलि मंत्र का अर्थ है कि देवताओं ने यज्ञ के द्वारा प्रजापति की आराधना की। यज्ञ और उसकी संबंधित उपासनाएं प्राचीन काल की धार्मिक परंपराओं का महत्वपूर्ण अंग थीं। प्राचीन काल में देवता स्वर्गलोक में निवास करते थे, और यज्ञ के कर्मों द्वारा साधक महानता प्राप्त कर, स्वर्गलोक में स्थान प्राप्त करते थे।

द्वितीय: Pushpanjali Mantra

ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने।

नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।

स मस कामान् काम कामाय मह्यं।

कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय।

महाराजाय नम: ।

इस पुष्पांजलि मंत्र का अर्थ है हम राजाधिराज वैश्रवण का वंदन करते हैं, जो हमारे जीवन में अनुकूलता लाते हैं। उनकी कृपा हमें कामनाओं के अधिपति कुबेर के रूप में प्राप्त हो, ताकि वे हमारी सभी इच्छाओं की पूर्ति करें।

तृतीय: Pushpanjali Mantra

ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं

वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं ।

समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात् ।

पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकरा‌ळ इति ॥

इस पुष्पांजलि मंत्र का अर्थ है हम कामना करते हैं कि हमारा राज्य सबके कल्याण का स्रोत बने। यह राज्य हर प्रकार की समृद्धि और संसाधनों से भरा हो। यहां लोककल्याण सर्वोपरि हो, और राज्य में आसक्ति तथा लोभ का कोई स्थान न हो। हमारा शासन उस महानतम साम्राज्य पर हो, जो सभी सीमाओं तक सुरक्षित रहे। समुद्र तक विस्तारित धरती पर हमारा दीर्घकालिक और एकीकृत राज्य स्थापित हो, और यह राज्य सृष्टि की समाप्ति तक सुरक्षित और स्थिर बना रहे।

चतुर्थ: Pushpanjali Mantra

ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो।

मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे।

आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ॥

इस पुष्पांजलि मंत्र का अर्थ है इस श्लोक में वर्णन किया गया है कि हम अविक्षित के पुत्र मरुती के माध्यम से इस राज्य को प्राप्त करें, जो राज्यसभा के सभी सदस्यों से घिरा हुआ है। यही हमारी इच्छा और प्रार्थना है।

संपूर्ण मंत्र पुष्पांजलि Sampurna Pushpanjali Mantra

हरि: ॐ एक दंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि । तन्नो दंतीप्रचोदयात्।

हरि:ॐ नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।

हरि:ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि । तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्। 

हरि: ॐ नंद नन्दनाय विद्महे यशोदा नंदनाय धीमहि । तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्। 

हरि: ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि । तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।

 हरि ॐ अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि । तन्नो हनुमत प्रचोदयात्।

 हरि ॐ चतुर्मुखाय विद्महे हंसारुढ़ाय धीमहि । तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।

 हरि: ॐ परमहंसाय विद्महे महाहंसाय धीमहि । तन्नो हंसः प्रचोदयात्।

 हरि: ॐ श्री तुलस्यै विद्महे विष्णुप्रियायै च धीमहि । तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।

हरि: ॐ वृषभानुजायै च विद्महे कृष्णप्रियायै च धीमहि । तन्नो राधा प्रचोदयात्।

हरिः ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि । तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।

ॐ सेवन्तिका बकुल चम्पक पाटलाब्जै, 

पुन्नाग जाति करवीर रसाल पुष्पैः बिल्व प्रवाल।

तुलसीदल मंजरीभिस्त्वां पूजयामि जगदीश्वर मे प्रसीद।।

मंदार माला कुलितालकायै कपालमालांकित शेखराय

दिगम्बरायै  च दिगम्बराय नमः शिवायै च नमः शिवाय .

ॐ नाना सुगन्धि पुष्पाणि यथा कालो भवानी च,

पुष्पान्जलिर्मया दत्त ग्रहाण परमेश्वर ।

॥ मंत्रपुष्पांजली समर्पयामि ॥

यह मंत्र पुष्पांजलि देवताओं के प्रति श्रद्धा और समर्पण की धार्मिक अभिव्यक्ति है, जिसका प्रयोग पूजा में पुष्प अर्पित करते समय किया जाता है।

मंत्र पुष्पांजलि कैसे करें?
मंत्र पुष्पांजलि हिन्दू धर्म के प्रार्थना अनुष्ठानों में से एक है, जिसमें फूल अर्पित किए जाते हैं और मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इस अनुष्ठान की एक सरल रूपरेखा निम्नलिखित है:

उचित स्थान:
मंत्र पुष्पांजलि (Pushpanjali Mantra)का आयोजन मंदिर, घर के पूजा स्थल, या किसी अन्य पवित्र स्थान पर किया जा सकता है। इस स्थान का शांत और पूजा के लिए उपयुक्त होना आवश्यक है।

अर्पण की तैयारी:
फूलों की अर्पणा के लिए ताजे और सुगंधित फूलों का चयन किया जाता है, जैसे चमेली या गुलाब। फूलों को एक थाली या टोकरी में सजाकर रखा जाता है।

वेदी की सजावट:
देवता की मूर्ति या चित्र के सामने वेदी पर फूल, धूप, दिये, और घंटी जैसी पूजन सामग्री रखी जाती है। वेदी को साफ़ और व्यवस्थित किया जाना चाहिए।

मंत्रों का उच्चारण:
मंत्र पुष्पांजलि (Sampurna Pushpanjali Mantra)के दौरान संस्कृत मंत्रों और प्रार्थनाओं का श्रद्धा और ध्यान के साथ उच्चारण किया जाता है। ये मंत्र गुरु या धार्मिक पुस्तकों से सीखे जा सकते हैं।

फूलों का अर्पण:
मंत्रों के बाद भक्त फूलों को दोनों हाथों से उठाकर देवता को समर्पित करता है, साथ ही नम्रता से देवता को धन्यवाद देता है।

अनुष्ठान का समापन:
फूलों की अर्पणा के बाद, अंतिम मंत्रों और प्रार्थनाओं का उच्चारण कर अनुष्ठान को समाप्त किया जाता है।

मंत्र पुष्पांजलि एक गहन व्यक्तिगत और आध्यात्मिक क्रिया है, जिसमें विविधता हो सकती है। अनुशासन और मार्गदर्शन के लिए गुरु या धार्मिक पुस्तकों की सलाह लेना उपयोगी होता है।

मंत्र पुष्पांजलि का महत्व: Importance Of Pushpanjali Mantra
मंत्र पुष्पांजलि का महत्व यह है कि इसके माध्यम से पूजा पूर्ण मानी जाती है, और यह भक्त की आस्था और श्रद्धा की अभिव्यक्ति का महत्वपूर्ण अंग है।

मंत्र पुष्पांजलि का महत्व इस धारणा पर आधारित है कि धार्मिक अनुष्ठान तभी पूर्ण माने जाते हैं जब मंत्र पुष्पांजलि अर्पित की जाती है। इस प्रक्रिया में, पुष्पों को देवताओं के नाम और मंत्रों के साथ समर्पित किया जाता है। यह एक विशेष आध्यात्मिक क्रिया है जो भक्त की आस्था और समर्पण को प्रकट करती है।

इस अनुष्ठान के माध्यम से भक्ति की व्यक्तिगत अभिव्यक्ति होती है और यह आत्मा को दिव्यता की ओर उन्नत करता है। इसके द्वारा मन और पर्यावरण की शुद्धि होती है, जिससे आध्यात्मिक जागृति और शांति का अनुभव होता है।

मंत्र पुष्पांजलि हिंदू संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को समृद्ध करता है। यह न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है, बल्कि व्यक्ति को आनंद और संतोष का अनुभव भी प्रदान करता है।

Karagre Vasate Lakshmi Mantra: कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र Lyrics

Karagre Vasate Lakshmi Mantra: कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र Lyrics

Karagre Vasate Lakshmi Mantra: कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र – भारतीय ऋषि-मुनियों ने दिन की शुभ शुरुआत के महत्व को समझते हुए ‘करदर्शनम’ Karadarshanam Mantra की परंपरा को अपनाने का सुझाव दिया है, जिसमें हाथों के दर्शन के माध्यम से दिन का प्रारंभ किया जाता है। ‘कराग्रे वसते लक्ष्मी’ मंत्र से यह परंपरा जुड़ी हुई है, जिसका उल्लेख वेदों और पुराणों में भी मिलता है। यह परंपरा न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

शास्त्रों में इस प्रक्रिया को ‘करदर्शनम’ Karadarshanam Mantra कहा गया है, जो व्यक्ति की स्थिति में सुधार और सौभाग्य में वृद्धि का माध्यम है। ‘करदर्शनम’ Karadarshanam Mantra Meaning का मतलब है हाथों की हथेलियों के दर्शन करना, जिससे दिन की शुरुआत सकारात्मक ऊर्जा और उत्तेजना के साथ हो, और जीवन को शुभता से भरा हुआ बनाए रखने का सिद्धांत स्थापित होता है।

Karagre Vasate Lakshmi Mantra | कराग्रे वसते लक्ष्मी पूरा श्लोक | कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र Lyrics

कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्
समुद्र-वसने देवि पर्वत-स्तन-मंडले
विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे
वसुदॆव सुतं दॆवं कंस चाणूर मर्दनम्
दॆवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरुम्

Meaning Of Karagre Vasate Lakshmi Mantra

करग्रे वसते लक्ष्मी (कृपा): “करग्रे” का अर्थ होता है “हाथ की उंगली के शिर्ष पर” और “वसते” का अर्थ होता है “निवास करती है”। इससे यह सिद्ध होता है कि लक्ष्मी देवी हमारे हाथ में निवास करती है और हमें अपनी कृपा से संजीवनी देती है।

करमध्ये सरस्वती (ज्ञान): “करमध्ये” का अर्थ होता है “हाथों के बीच” और और “सरस्वती” विद्या और ज्ञान की देवी हैं। इस भाग्यशाली मंत्र के जरिए हम ज्ञान की प्राप्ति के लिए सरस्वती देवी से प्रार्थना करते हैं।

करमूले तु गोविन्दः (भगवान का ध्यान): “करमूले” का अर्थ होता है “हाथ की जड़” और “तु” एक परमात्मा की प्रेरक भक्ति को दर्शाता है। इस भाग्यशाली मंत्र के जरिए हम गोविन्द के ध्यान में रहकर उनसे मिलने का इंतजार करते हैं।

प्रभाते करदर्शनम् (सुप्रभात का समय): “प्रभात” का अर्थ होता है “सुप्रभात” या “सुबह” और “करदर्शनम्” सुप्रभात का समय में होने वाले दर्शन का सुझाव देता है। इस मंत्र के उच्चारण के द्वारा हम अपने दिन की शुरुआत को शुभ बनाने के लिए दिव्य शक्तियों का सानिध्य प्राप्त करते हैं।

“कराग्रे वसते लक्ष्मी” – लक्ष्मी माता हाथ की कोने में विराजमान हैं

“करमध्ये सरस्वती” – सरस्वती माता हाथों के बीच में हैं

“करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्” – और कर के मूल में गोविन्द (भगवान विष्णु) का दर्शन करना है

“समुद्र-वसने देवि पर्वत-स्तन-मंडले” – जिनका वास समुद्र में है, देवी लक्ष्मी, जिनके स्तन पर्वत की भाँति बुलंद हैं

“विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे” – विष्णु की पत्नि, हे माता, आपके पैरों की स्पर्श करने का मेरा नामस्कार है, कृपया मुझे क्षमा करें

“वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्” – वसुदेव की संतान, देवकी-पुत्र, भगवान कृष्ण, कंस और चाणूर को मारने वाला

“देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्” – देवकी की परम संतान, पुरुषोत्तम भगवान कृष्ण को मैं वंदना करता हूँ, जगद्गुरुम् यानी जगत के गुरु को।

कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र लाभ – Benifits of Karagre Vasate Lakshmi Mantra

करदर्शनम की परंपरा व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा के साथ नई चुनौतियों का सामना करने का साहस और आत्मविश्वास प्रदान करती है। इस आदर्श का पालन करते हुए, व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सक्षम होता है और जीवन को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देख सकता है।

करदर्शनम का अनुसरण केवल दिन की अच्छी शुरुआत ही नहीं करता, बल्कि यह व्यक्ति को व्यापक रूप से सकारात्मक परिणाम देने में भी सहायक होता है। यह आदर्श स्वास्थ्य, शांति, और सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करता है, जिससे जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि और सम्मान की प्राप्ति संभव हो सकती है।

FAQ About Karadarshanam Mantra

  1. करदर्शनम क्या है?

करदर्शनम एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जिसमें दिन की शुरुआत हाथों की हथेलियों के दर्शन से की जाती है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा, साहस, और आत्मविश्वास प्रदान करती है, जिससे वह दिनभर की चुनौतियों का सामना कर सके।

2. करदर्शनम करने के क्या लाभ हैं?

करदर्शनम का अनुसरण करने से दिन की शुरुआत सकारात्मक ढंग से होती है, जिससे व्यक्ति में ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है। यह आदर्श स्वास्थ्य, शांति, और सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करता है और जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि और सम्मान प्रदान करता है।

3. करदर्शनम मंत्र क्या है?

करदर्शनम मंत्र “कराग्रे वसते लक्ष्मी” है, जो इस प्रक्रिया का मुख्य हिस्सा है। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए व्यक्ति हाथों की हथेलियों के दर्शन करता है, जिससे दिन की शुरुआत शुभ होती है।

4. करदर्शनम का महत्व क्या है?

करदर्शनम का महत्व आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से है। यह न केवल व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण देता है, बल्कि उसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार भी करता है। वेदों और पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

5. करदर्शनम का पालन किस प्रकार किया जाता है?

करदर्शनम का पालन सुबह उठते ही अपने हाथों की हथेलियों का दर्शन करने और “कराग्रे वसते लक्ष्मी” मंत्र का उच्चारण करने से किया जाता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है और दिन की शुरुआत को शुभ बनाती है।

Shri Swami Samarth Tarak Mantra: श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र

Shri Swami Samarth Tarak Mantra: श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र

श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र (Shri Swami Samarth Tarak Mantra) साधकांच्या आध्यात्मिक साधना आणि मानसिक शांतीसाठी अत्यंत प्रभावी आहे. भारतीय धार्मिक परंपरेत श्री स्वामी समर्थ यांचे विशेष महत्त्व असून, त्यांच्या भक्तिप्रवाहात या मंत्राचा उपयोग केला जातो. तुम्ही श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र शोधत आहात का? इथे तुम्हाला हा मंत्र मिळेल. नक्की वाचा आणि दररोज उच्चारण करा.

Shri Swami Samarth Tarak Mantra

निशंक होई रे मना, निर्भय होई रे मना।
प्रचंड स्वामीबळ पाठीशी, नित्य आहे रे मना।
अतर्क्य अवधूत हे स्मर्तुगामी,
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।१।।

जिथे स्वामीचरण तिथे न्युन्य काय,
स्वये भक्त प्रारब्ध घडवी ही माय।
आज्ञेवीना काळ ही ना नेई त्याला,
परलोकी ही ना भीती तयाला
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।२।।

उगाची भितोसी भय हे पळु दे,
वसे अंतरी ही स्वामीशक्ति कळु दे।
जगी जन्म मृत्यु असे खेळ ज्यांचा,
नको घाबरू तू असे बाळ त्यांचा
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।३।।

खरा होई जागा श्रद्धेसहित,
कसा होसी त्याविण तू स्वामिभक्त।
आठव! कितीदा दिली त्यांनीच साथ,
नको डगमगु स्वामी देतील हात
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।४।।

विभूति नमननाम ध्यानार्दी तीर्थ,
स्वामीच या पंचामृतात।
हे तीर्थ घेइ आठवी रे प्रचिती,
ना सोडती तया, जया स्वामी घेती हाती ।।५।।

Kal Sarp Dosh Nivaran Mantra: कालसर्प दोष निवारण मंत्र कालसर्प योग लिए मंत्र

Kal Sarp Dosh Nivaran Mantra: कालसर्प दोष निवारण मंत्र कालसर्प योग लिए मंत्र

महामृत्युंजय मंत्र: (Maha Mrityunjaya Mantra)

अर्थ: हम त्रिनेत्र वाले भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो सभी जीवों को सुगंधित फल प्रदान करते हैं और जीवन को पोषण देते हैं। जैसे ककड़ी पककर बेल से अलग हो जाती है, वैसे ही हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त करें और अमरत्व प्रदान करें।

नाग गायत्री मंत्र: (Naag Gayatri Mantra Lyrics)

अर्थ: हम उन नौ कुलों के सर्पों को जानते हैं, जिनके दांत विषैले होते हैं। हम उनकी प्रार्थना करते हैं कि वे हमें प्रेरित करें और हमें सुरक्षा प्रदान करें।

काल सर्प दोष मंत्र: (Kaal Sarp Dosh Mantra)

अर्थ: पृथ्वी, आकाश और स्वर्ग में जितने भी सर्प हैं, उन सभी को हमारा नमस्कार हो। हम सभी सर्पों का आदर करते हैं और उनकी प्रार्थना करते हैं कि वे हमें सुरक्षा प्रदान करें।

अनंत काल सर्प मंत्र: (Anant Kaal Sarp Mantra)

अर्थ: अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कंबल, शंखपाल, धार्तराष्ट्र, तक्षक और कालिया, इन सभी महान सर्पों को हमारा प्रणाम हो।

राहु मंत्र: (Rahu Mantra)

अर्थ: हम राहु को प्रणाम करते हैं। “भ्रां” बीज मंत्र है जो राहु के प्रभाव को शांत करता है।

केतु मंत्र: (Ketu Mantra)

अर्थ: हम केतु को प्रणाम करते हैं। “स्रां” बीज मंत्र है जो केतु के प्रभाव को शांत करता है।

नाग पंचमी मंत्र: (Nag Panchami Mantra)

अर्थ: अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कंबल, शंखपाल, धार्तराष्ट्र, तक्षक और कालिया, इन सभी महान सर्पों को हमारा प्रणाम हो।

सर्प मंत्र: (Sarp Mantra)

अर्थ: हम सर्प देवता को प्रणाम करते हैं।