Sampurna Pushpanjali Mantra Lyrics : पुष्पांजलि मंत्र एक ऐसा महत्वपूर्ण मंत्र है जिसका प्रयोग देवताओं को पुष्प अर्पित करते समय किया जाता है। इस मंत्र का उच्चारण विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों जैसे हवन, पूजन, आरती, गृह प्रवेश और अन्य पूजा विधियों के दौरान देवताओं को पुष्पांजलि समर्पित करने के लिए किया जाता है। इसका धार्मिक महत्व प्राचीन मान्यताओं से जुड़ा है, जहाँ माना जाता है कि पूजा तभी पूर्ण होती है जब मंत्र पुष्पांजलि अर्पित की जाती है। इस प्रक्रिया में, फूलों को देवताओं के नाम और मंत्रों के साथ अर्पण किया जाता है।
आरती के बाद संपूर्ण पुष्पांजलि मंत्र (Lyrics Sampurna Pushpanjali Mantra)
प्रथम: Pushpanjali Mantra
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा: ॥
इस पुष्पांजलि मंत्र का अर्थ है कि देवताओं ने यज्ञ के द्वारा प्रजापति की आराधना की। यज्ञ और उसकी संबंधित उपासनाएं प्राचीन काल की धार्मिक परंपराओं का महत्वपूर्ण अंग थीं। प्राचीन काल में देवता स्वर्गलोक में निवास करते थे, और यज्ञ के कर्मों द्वारा साधक महानता प्राप्त कर, स्वर्गलोक में स्थान प्राप्त करते थे।
द्वितीय: Pushpanjali Mantra
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने।
नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मस कामान् काम कामाय मह्यं।
कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय।
महाराजाय नम: ।
इस पुष्पांजलि मंत्र का अर्थ है हम राजाधिराज वैश्रवण का वंदन करते हैं, जो हमारे जीवन में अनुकूलता लाते हैं। उनकी कृपा हमें कामनाओं के अधिपति कुबेर के रूप में प्राप्त हो, ताकि वे हमारी सभी इच्छाओं की पूर्ति करें।
तृतीय: Pushpanjali Mantra
ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं
वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं ।
समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात् ।
पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकराळ इति ॥
इस पुष्पांजलि मंत्र का अर्थ है हम कामना करते हैं कि हमारा राज्य सबके कल्याण का स्रोत बने। यह राज्य हर प्रकार की समृद्धि और संसाधनों से भरा हो। यहां लोककल्याण सर्वोपरि हो, और राज्य में आसक्ति तथा लोभ का कोई स्थान न हो। हमारा शासन उस महानतम साम्राज्य पर हो, जो सभी सीमाओं तक सुरक्षित रहे। समुद्र तक विस्तारित धरती पर हमारा दीर्घकालिक और एकीकृत राज्य स्थापित हो, और यह राज्य सृष्टि की समाप्ति तक सुरक्षित और स्थिर बना रहे।
चतुर्थ: Pushpanjali Mantra
ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो।
मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ॥
इस पुष्पांजलि मंत्र का अर्थ है इस श्लोक में वर्णन किया गया है कि हम अविक्षित के पुत्र मरुती के माध्यम से इस राज्य को प्राप्त करें, जो राज्यसभा के सभी सदस्यों से घिरा हुआ है। यही हमारी इच्छा और प्रार्थना है।
संपूर्ण मंत्र पुष्पांजलि – Sampurna Pushpanjali Mantra
हरि: ॐ एक दंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि । तन्नो दंतीप्रचोदयात्।
हरि:ॐ नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।
हरि:ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि । तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।
हरि: ॐ नंद नन्दनाय विद्महे यशोदा नंदनाय धीमहि । तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्।
हरि: ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि । तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।
हरि ॐ अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि । तन्नो हनुमत प्रचोदयात्।
हरि ॐ चतुर्मुखाय विद्महे हंसारुढ़ाय धीमहि । तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।
हरि: ॐ परमहंसाय विद्महे महाहंसाय धीमहि । तन्नो हंसः प्रचोदयात्।
हरि: ॐ श्री तुलस्यै विद्महे विष्णुप्रियायै च धीमहि । तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।
हरि: ॐ वृषभानुजायै च विद्महे कृष्णप्रियायै च धीमहि । तन्नो राधा प्रचोदयात्।
हरिः ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि । तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
ॐ सेवन्तिका बकुल चम्पक पाटलाब्जै,
पुन्नाग जाति करवीर रसाल पुष्पैः बिल्व प्रवाल।
तुलसीदल मंजरीभिस्त्वां पूजयामि जगदीश्वर मे प्रसीद।।
मंदार माला कुलितालकायै कपालमालांकित शेखराय
दिगम्बरायै च दिगम्बराय नमः शिवायै च नमः शिवाय .
ॐ नाना सुगन्धि पुष्पाणि यथा कालो भवानी च,
पुष्पान्जलिर्मया दत्त ग्रहाण परमेश्वर ।
॥ मंत्रपुष्पांजली समर्पयामि ॥
यह मंत्र पुष्पांजलि देवताओं के प्रति श्रद्धा और समर्पण की धार्मिक अभिव्यक्ति है, जिसका प्रयोग पूजा में पुष्प अर्पित करते समय किया जाता है।
मंत्र पुष्पांजलि कैसे करें?
मंत्र पुष्पांजलि हिन्दू धर्म के प्रार्थना अनुष्ठानों में से एक है, जिसमें फूल अर्पित किए जाते हैं और मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इस अनुष्ठान की एक सरल रूपरेखा निम्नलिखित है:
उचित स्थान:
मंत्र पुष्पांजलि (Pushpanjali Mantra)का आयोजन मंदिर, घर के पूजा स्थल, या किसी अन्य पवित्र स्थान पर किया जा सकता है। इस स्थान का शांत और पूजा के लिए उपयुक्त होना आवश्यक है।
अर्पण की तैयारी:
फूलों की अर्पणा के लिए ताजे और सुगंधित फूलों का चयन किया जाता है, जैसे चमेली या गुलाब। फूलों को एक थाली या टोकरी में सजाकर रखा जाता है।
वेदी की सजावट:
देवता की मूर्ति या चित्र के सामने वेदी पर फूल, धूप, दिये, और घंटी जैसी पूजन सामग्री रखी जाती है। वेदी को साफ़ और व्यवस्थित किया जाना चाहिए।
मंत्रों का उच्चारण:
मंत्र पुष्पांजलि (Sampurna Pushpanjali Mantra)के दौरान संस्कृत मंत्रों और प्रार्थनाओं का श्रद्धा और ध्यान के साथ उच्चारण किया जाता है। ये मंत्र गुरु या धार्मिक पुस्तकों से सीखे जा सकते हैं।
फूलों का अर्पण:
मंत्रों के बाद भक्त फूलों को दोनों हाथों से उठाकर देवता को समर्पित करता है, साथ ही नम्रता से देवता को धन्यवाद देता है।
अनुष्ठान का समापन:
फूलों की अर्पणा के बाद, अंतिम मंत्रों और प्रार्थनाओं का उच्चारण कर अनुष्ठान को समाप्त किया जाता है।
मंत्र पुष्पांजलि एक गहन व्यक्तिगत और आध्यात्मिक क्रिया है, जिसमें विविधता हो सकती है। अनुशासन और मार्गदर्शन के लिए गुरु या धार्मिक पुस्तकों की सलाह लेना उपयोगी होता है।
मंत्र पुष्पांजलि का महत्व: Importance Of Pushpanjali Mantra
मंत्र पुष्पांजलि का महत्व यह है कि इसके माध्यम से पूजा पूर्ण मानी जाती है, और यह भक्त की आस्था और श्रद्धा की अभिव्यक्ति का महत्वपूर्ण अंग है।
मंत्र पुष्पांजलि का महत्व इस धारणा पर आधारित है कि धार्मिक अनुष्ठान तभी पूर्ण माने जाते हैं जब मंत्र पुष्पांजलि अर्पित की जाती है। इस प्रक्रिया में, पुष्पों को देवताओं के नाम और मंत्रों के साथ समर्पित किया जाता है। यह एक विशेष आध्यात्मिक क्रिया है जो भक्त की आस्था और समर्पण को प्रकट करती है।
इस अनुष्ठान के माध्यम से भक्ति की व्यक्तिगत अभिव्यक्ति होती है और यह आत्मा को दिव्यता की ओर उन्नत करता है। इसके द्वारा मन और पर्यावरण की शुद्धि होती है, जिससे आध्यात्मिक जागृति और शांति का अनुभव होता है।
मंत्र पुष्पांजलि हिंदू संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को समृद्ध करता है। यह न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है, बल्कि व्यक्ति को आनंद और संतोष का अनुभव भी प्रदान करता है।
Leave a Reply