Karagre Vasate Lakshmi Mantra: कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र – भारतीय ऋषि-मुनियों ने दिन की शुभ शुरुआत के महत्व को समझते हुए ‘करदर्शनम’ Karadarshanam Mantra की परंपरा को अपनाने का सुझाव दिया है, जिसमें हाथों के दर्शन के माध्यम से दिन का प्रारंभ किया जाता है। ‘कराग्रे वसते लक्ष्मी’ मंत्र से यह परंपरा जुड़ी हुई है, जिसका उल्लेख वेदों और पुराणों में भी मिलता है। यह परंपरा न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
शास्त्रों में इस प्रक्रिया को ‘करदर्शनम’ Karadarshanam Mantra कहा गया है, जो व्यक्ति की स्थिति में सुधार और सौभाग्य में वृद्धि का माध्यम है। ‘करदर्शनम’ Karadarshanam Mantra Meaning का मतलब है हाथों की हथेलियों के दर्शन करना, जिससे दिन की शुरुआत सकारात्मक ऊर्जा और उत्तेजना के साथ हो, और जीवन को शुभता से भरा हुआ बनाए रखने का सिद्धांत स्थापित होता है।
Karagre Vasate Lakshmi Mantra | कराग्रे वसते लक्ष्मी पूरा श्लोक | कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र Lyrics
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्
समुद्र-वसने देवि पर्वत-स्तन-मंडले
विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे
वसुदॆव सुतं दॆवं कंस चाणूर मर्दनम्
दॆवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरुम्
Meaning Of Karagre Vasate Lakshmi Mantra
करग्रे वसते लक्ष्मी (कृपा): “करग्रे” का अर्थ होता है “हाथ की उंगली के शिर्ष पर” और “वसते” का अर्थ होता है “निवास करती है”। इससे यह सिद्ध होता है कि लक्ष्मी देवी हमारे हाथ में निवास करती है और हमें अपनी कृपा से संजीवनी देती है।
करमध्ये सरस्वती (ज्ञान): “करमध्ये” का अर्थ होता है “हाथों के बीच” और और “सरस्वती” विद्या और ज्ञान की देवी हैं। इस भाग्यशाली मंत्र के जरिए हम ज्ञान की प्राप्ति के लिए सरस्वती देवी से प्रार्थना करते हैं।
करमूले तु गोविन्दः (भगवान का ध्यान): “करमूले” का अर्थ होता है “हाथ की जड़” और “तु” एक परमात्मा की प्रेरक भक्ति को दर्शाता है। इस भाग्यशाली मंत्र के जरिए हम गोविन्द के ध्यान में रहकर उनसे मिलने का इंतजार करते हैं।
प्रभाते करदर्शनम् (सुप्रभात का समय): “प्रभात” का अर्थ होता है “सुप्रभात” या “सुबह” और “करदर्शनम्” सुप्रभात का समय में होने वाले दर्शन का सुझाव देता है। इस मंत्र के उच्चारण के द्वारा हम अपने दिन की शुरुआत को शुभ बनाने के लिए दिव्य शक्तियों का सानिध्य प्राप्त करते हैं।
“कराग्रे वसते लक्ष्मी” – लक्ष्मी माता हाथ की कोने में विराजमान हैं
“करमध्ये सरस्वती” – सरस्वती माता हाथों के बीच में हैं
“करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्” – और कर के मूल में गोविन्द (भगवान विष्णु) का दर्शन करना है
“समुद्र-वसने देवि पर्वत-स्तन-मंडले” – जिनका वास समुद्र में है, देवी लक्ष्मी, जिनके स्तन पर्वत की भाँति बुलंद हैं
“विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे” – विष्णु की पत्नि, हे माता, आपके पैरों की स्पर्श करने का मेरा नामस्कार है, कृपया मुझे क्षमा करें
“वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्” – वसुदेव की संतान, देवकी-पुत्र, भगवान कृष्ण, कंस और चाणूर को मारने वाला
“देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्” – देवकी की परम संतान, पुरुषोत्तम भगवान कृष्ण को मैं वंदना करता हूँ, जगद्गुरुम् यानी जगत के गुरु को।
कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र लाभ – Benifits of Karagre Vasate Lakshmi Mantra
करदर्शनम की परंपरा व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा के साथ नई चुनौतियों का सामना करने का साहस और आत्मविश्वास प्रदान करती है। इस आदर्श का पालन करते हुए, व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सक्षम होता है और जीवन को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देख सकता है।
करदर्शनम का अनुसरण केवल दिन की अच्छी शुरुआत ही नहीं करता, बल्कि यह व्यक्ति को व्यापक रूप से सकारात्मक परिणाम देने में भी सहायक होता है। यह आदर्श स्वास्थ्य, शांति, और सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करता है, जिससे जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि और सम्मान की प्राप्ति संभव हो सकती है।
FAQ About Karadarshanam Mantra
- करदर्शनम क्या है?
करदर्शनम एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जिसमें दिन की शुरुआत हाथों की हथेलियों के दर्शन से की जाती है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा, साहस, और आत्मविश्वास प्रदान करती है, जिससे वह दिनभर की चुनौतियों का सामना कर सके।
2. करदर्शनम करने के क्या लाभ हैं?
करदर्शनम का अनुसरण करने से दिन की शुरुआत सकारात्मक ढंग से होती है, जिससे व्यक्ति में ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है। यह आदर्श स्वास्थ्य, शांति, और सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करता है और जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि और सम्मान प्रदान करता है।
3. करदर्शनम मंत्र क्या है?
करदर्शनम मंत्र “कराग्रे वसते लक्ष्मी” है, जो इस प्रक्रिया का मुख्य हिस्सा है। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए व्यक्ति हाथों की हथेलियों के दर्शन करता है, जिससे दिन की शुरुआत शुभ होती है।
4. करदर्शनम का महत्व क्या है?
करदर्शनम का महत्व आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से है। यह न केवल व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण देता है, बल्कि उसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार भी करता है। वेदों और पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
5. करदर्शनम का पालन किस प्रकार किया जाता है?
करदर्शनम का पालन सुबह उठते ही अपने हाथों की हथेलियों का दर्शन करने और “कराग्रे वसते लक्ष्मी” मंत्र का उच्चारण करने से किया जाता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है और दिन की शुरुआत को शुभ बनाती है।
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