Navmansh Kundli: नवमांश कुंडली क्या होती है

नवमांश कुण्डली (Navmansh Kundli) का अर्थ और महत्व

नवमांश कुण्डली क्यों महत्वपूर्ण है?

  1. वैवाहिक जीवन का विश्लेषण – Navmansh Chart व्यक्ति के विवाह से जुड़ी जानकारियाँ प्रदान करती है। यह दर्शाती है कि वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा, जीवनसाथी का स्वभाव कैसा होगा, और दांपत्य जीवन में सुख या संघर्ष की संभावना कितनी है।
  2. भाग्य और धर्म – नवमांश कुण्डली व्यक्ति के भाग्य और धार्मिक प्रवृत्तियों का भी आकलन करती है। नवमांश कुण्डली में शुभ ग्रहों की स्थिति यह दर्शाती है कि व्यक्ति का भाग्य कितना प्रबल है।
  3. व्यक्तित्व और गुणों का विश्लेषण – यह कुण्डली यह भी बताती है कि व्यक्ति के व्यक्तित्व में कौन-कौन से गुण विद्यमान हैं और उसके जीवन में किस प्रकार की संभावनाएँ हैं।
  4. कर्म और पूर्व जन्म के प्रभाव – Navmansh Kundali को व्यक्ति के पूर्व जन्म के कर्मों का प्रतिबिंब भी माना जाता है। इस कुण्डली से यह जाना जा सकता है कि पिछले जन्म के अच्छे या बुरे कर्मों का इस जन्म पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
  5. आध्यात्मिक उन्नति – नवमांश कुण्डली से यह भी जाना जा सकता है कि व्यक्ति को आध्यात्मिकता में कितनी रुचि होगी और क्या वह अपने जीवन में आत्मिक शांति प्राप्त कर पाएगा।

नवमांश कुण्डली कैसे बनाई जाती है?

  1. राशियों का विभाजन – किसी भी राशि के 30 अंश होते हैं। जब इन्हें 9 बराबर भागों में विभाजित किया जाता है, तो प्रत्येक भाग 3 डिग्री 20 मिनट का होता है।
  2. नवमांश राशि निर्धारण – किसी ग्रह की जन्म कुण्डली में स्थिति के आधार पर यह देखा जाता है कि वह किस नवमांश में स्थित होगा। यह निर्धारित करने के लिए विशेष चार्ट और गणनाएँ की जाती हैं।
  3. नवमांश लग्न की गणना – नवमांश कुण्डली में लग्न की स्थिति को निर्धारित करने के लिए जन्म लग्न को 9 भागों में विभाजित किया जाता है और उसके अनुसार नवमांश लग्न तैयार किया जाता है।
  4. ग्रहों की स्थिति – ग्रहों की स्थिति को नवमांश चार्ट में उसी प्रकार से रखा जाता है, जिससे उनके प्रभावों का सटीक विश्लेषण किया जा सके।

नवमांश कुण्डली के ज्योतिषीय नियम:-

  • यदि जन्म कुण्डली और नवमांश कुण्डली में लग्न एक ही राशि में हो, तो व्यक्ति बहुत शक्तिशाली और भाग्यशाली माना जाता है। इसे ‘वर्गोत्तम’ स्थिति कहा जाता है।
  • यदि नवमांश कुण्डली में गुरु, शुक्र, चंद्रमा और अन्य शुभ ग्रह अच्छी स्थिति में हों, तो वैवाहिक जीवन सुखी होता है।
  • यदि नवमांश कुण्डली में राहु, केतु या शनि दूषित स्थिति में हों, तो व्यक्ति के दांपत्य जीवन में बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • यदि नवमांश कुण्डली में नवम भाव मजबूत हो, तो व्यक्ति धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्ति का होगा।
  • यदि नवमांश कुण्डली में छठे, आठवें या बारहवें भाव में अशुभ ग्रह स्थित हों, तो व्यक्ति को जीवन में संघर्ष और कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।

नवमांश कुण्डली और विवाह

नवमांश कुण्डली और पेशा

  1. यदि दशम भाव और दशमेश शुभ स्थिति में हों, तो व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में सफल होता है।
  2. यदि नवमांश कुण्डली में बुध और गुरु मजबूत हों, तो व्यक्ति विद्वान और बुद्धिमान होता है तथा शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति प्राप्त करता है।
  3. यदि नवमांश कुण्डली में मंगल और शनि बलशाली हों, तो व्यक्ति प्रशासनिक सेवाओं या सेना में सफल हो सकता है।

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