Karagre Vasate Lakshmi Mantra: कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र Lyrics

Karagre Vasate Lakshmi Mantra: कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र Lyrics

Karagre Vasate Lakshmi Mantra: कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र – भारतीय ऋषि-मुनियों ने दिन की शुभ शुरुआत के महत्व को समझते हुए ‘करदर्शनम’ Karadarshanam Mantra की परंपरा को अपनाने का सुझाव दिया है, जिसमें हाथों के दर्शन के माध्यम से दिन का प्रारंभ किया जाता है। ‘कराग्रे वसते लक्ष्मी’ मंत्र से यह परंपरा जुड़ी हुई है, जिसका उल्लेख वेदों और पुराणों में भी मिलता है। यह परंपरा न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

शास्त्रों में इस प्रक्रिया को ‘करदर्शनम’ Karadarshanam Mantra कहा गया है, जो व्यक्ति की स्थिति में सुधार और सौभाग्य में वृद्धि का माध्यम है। ‘करदर्शनम’ Karadarshanam Mantra Meaning का मतलब है हाथों की हथेलियों के दर्शन करना, जिससे दिन की शुरुआत सकारात्मक ऊर्जा और उत्तेजना के साथ हो, और जीवन को शुभता से भरा हुआ बनाए रखने का सिद्धांत स्थापित होता है।

Karagre Vasate Lakshmi Mantra | कराग्रे वसते लक्ष्मी पूरा श्लोक | कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र Lyrics

कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्
समुद्र-वसने देवि पर्वत-स्तन-मंडले
विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे
वसुदॆव सुतं दॆवं कंस चाणूर मर्दनम्
दॆवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरुम्

Meaning Of Karagre Vasate Lakshmi Mantra

करग्रे वसते लक्ष्मी (कृपा): “करग्रे” का अर्थ होता है “हाथ की उंगली के शिर्ष पर” और “वसते” का अर्थ होता है “निवास करती है”। इससे यह सिद्ध होता है कि लक्ष्मी देवी हमारे हाथ में निवास करती है और हमें अपनी कृपा से संजीवनी देती है।

करमध्ये सरस्वती (ज्ञान): “करमध्ये” का अर्थ होता है “हाथों के बीच” और और “सरस्वती” विद्या और ज्ञान की देवी हैं। इस भाग्यशाली मंत्र के जरिए हम ज्ञान की प्राप्ति के लिए सरस्वती देवी से प्रार्थना करते हैं।

करमूले तु गोविन्दः (भगवान का ध्यान): “करमूले” का अर्थ होता है “हाथ की जड़” और “तु” एक परमात्मा की प्रेरक भक्ति को दर्शाता है। इस भाग्यशाली मंत्र के जरिए हम गोविन्द के ध्यान में रहकर उनसे मिलने का इंतजार करते हैं।

प्रभाते करदर्शनम् (सुप्रभात का समय): “प्रभात” का अर्थ होता है “सुप्रभात” या “सुबह” और “करदर्शनम्” सुप्रभात का समय में होने वाले दर्शन का सुझाव देता है। इस मंत्र के उच्चारण के द्वारा हम अपने दिन की शुरुआत को शुभ बनाने के लिए दिव्य शक्तियों का सानिध्य प्राप्त करते हैं।

“कराग्रे वसते लक्ष्मी” – लक्ष्मी माता हाथ की कोने में विराजमान हैं

“करमध्ये सरस्वती” – सरस्वती माता हाथों के बीच में हैं

“करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्” – और कर के मूल में गोविन्द (भगवान विष्णु) का दर्शन करना है

“समुद्र-वसने देवि पर्वत-स्तन-मंडले” – जिनका वास समुद्र में है, देवी लक्ष्मी, जिनके स्तन पर्वत की भाँति बुलंद हैं

“विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं पाद-स्पर्शं क्षमस्व मे” – विष्णु की पत्नि, हे माता, आपके पैरों की स्पर्श करने का मेरा नामस्कार है, कृपया मुझे क्षमा करें

“वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्” – वसुदेव की संतान, देवकी-पुत्र, भगवान कृष्ण, कंस और चाणूर को मारने वाला

“देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्” – देवकी की परम संतान, पुरुषोत्तम भगवान कृष्ण को मैं वंदना करता हूँ, जगद्गुरुम् यानी जगत के गुरु को।

कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र लाभ – Benifits of Karagre Vasate Lakshmi Mantra

करदर्शनम की परंपरा व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा के साथ नई चुनौतियों का सामना करने का साहस और आत्मविश्वास प्रदान करती है। इस आदर्श का पालन करते हुए, व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सक्षम होता है और जीवन को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देख सकता है।

करदर्शनम का अनुसरण केवल दिन की अच्छी शुरुआत ही नहीं करता, बल्कि यह व्यक्ति को व्यापक रूप से सकारात्मक परिणाम देने में भी सहायक होता है। यह आदर्श स्वास्थ्य, शांति, और सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करता है, जिससे जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि और सम्मान की प्राप्ति संभव हो सकती है।

FAQ About Karadarshanam Mantra

  1. करदर्शनम क्या है?

करदर्शनम एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जिसमें दिन की शुरुआत हाथों की हथेलियों के दर्शन से की जाती है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा, साहस, और आत्मविश्वास प्रदान करती है, जिससे वह दिनभर की चुनौतियों का सामना कर सके।

2. करदर्शनम करने के क्या लाभ हैं?

करदर्शनम का अनुसरण करने से दिन की शुरुआत सकारात्मक ढंग से होती है, जिससे व्यक्ति में ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है। यह आदर्श स्वास्थ्य, शांति, और सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करता है और जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि और सम्मान प्रदान करता है।

3. करदर्शनम मंत्र क्या है?

करदर्शनम मंत्र “कराग्रे वसते लक्ष्मी” है, जो इस प्रक्रिया का मुख्य हिस्सा है। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए व्यक्ति हाथों की हथेलियों के दर्शन करता है, जिससे दिन की शुरुआत शुभ होती है।

4. करदर्शनम का महत्व क्या है?

करदर्शनम का महत्व आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से है। यह न केवल व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण देता है, बल्कि उसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार भी करता है। वेदों और पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

5. करदर्शनम का पालन किस प्रकार किया जाता है?

करदर्शनम का पालन सुबह उठते ही अपने हाथों की हथेलियों का दर्शन करने और “कराग्रे वसते लक्ष्मी” मंत्र का उच्चारण करने से किया जाता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है और दिन की शुरुआत को शुभ बनाती है।

Karni Mata Ki Aarti: ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी

Karni Mata Ki Aarti: ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी

करनी माता की आरती (Karni Mata Ki Arti Lyrics in Hindi )उनके भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति से की जाती है। यह आरती देवी करनी माता की महिमा का गुणगान करती है, जो अपने अनुयायियों की रक्षा और कल्याण करती हैं। आरती के माध्यम से भक्त अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और देवी से आशीर्वाद की कामना करते हैं। करनी माता की आरती (Karni Mata ki Aarti )में गाए गए शब्द भक्तों के मन में विश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।

Karni Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi

जयअम्बे करणी,मैया जय अम्बे करणी!
भक्त जनन भय संकट, पान छिनी हरणी! Om Jai Ambe Karni….

आदि शक्ति अविनाशी,वेदन मैं वरणी!
अगम अन्नत अगोदर,विश्वरूप धरणी! Om Jai Ambe Karni….

काली तू किरताली, दुर्गे दुःख हरणी!
चंडी तू चिरताली, ब्राह्मणी वरणी ! Om Jai Ambe Karni….

लक्ष्मी तू ही जाला,आवड़ जग हरणी!
दत्य दलण डाटाली, अवना अवतारणी! Om Jai Ambe Karni….

ग्राम सुआप सुहाणी, धन थलहट धरणी!
देवल माँ मेहा घर, जन्मी जग जननी! Om Jai Ambe Karni….

राज दियो रिड़मल ने, कानो खय करणी!
धेन दुहत बणिये की, तारो कर तरणी! Om Jai Ambe Karni….

शेखो लाय सिंध सूं, पेथड़ आचरणी!
दशरथ धान दिपायो, सांपूसुख शरणी! Om Jai Ambe Karni….

जेतल भूप जिताड़यो, कमल दल दलणी!
प्राण बचाए बखत के , पीर कला हरणी! Om Jai Ambe Karni….

परचा गिण नही पाऊ, माँ अशरण शरणी!
सोहण चरण शरण मैं,दास अभय करणी! Om Jai Ambe Karni….

ॐ जय अम्बे करणी,मैया जय अम्बे करणी!
भक्त जनन भय संकट, पल छिनमै हरणी

करणी माता आरती Lyrics 
Karani Mata Aarati Lyrics

Shri Swami Samarth Tarak Mantra: श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र

Shri Swami Samarth Tarak Mantra: श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र

श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र (Shri Swami Samarth Tarak Mantra) साधकांच्या आध्यात्मिक साधना आणि मानसिक शांतीसाठी अत्यंत प्रभावी आहे. भारतीय धार्मिक परंपरेत श्री स्वामी समर्थ यांचे विशेष महत्त्व असून, त्यांच्या भक्तिप्रवाहात या मंत्राचा उपयोग केला जातो. तुम्ही श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र शोधत आहात का? इथे तुम्हाला हा मंत्र मिळेल. नक्की वाचा आणि दररोज उच्चारण करा.

Shri Swami Samarth Tarak Mantra

निशंक होई रे मना, निर्भय होई रे मना।
प्रचंड स्वामीबळ पाठीशी, नित्य आहे रे मना।
अतर्क्य अवधूत हे स्मर्तुगामी,
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।१।।

जिथे स्वामीचरण तिथे न्युन्य काय,
स्वये भक्त प्रारब्ध घडवी ही माय।
आज्ञेवीना काळ ही ना नेई त्याला,
परलोकी ही ना भीती तयाला
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।२।।

उगाची भितोसी भय हे पळु दे,
वसे अंतरी ही स्वामीशक्ति कळु दे।
जगी जन्म मृत्यु असे खेळ ज्यांचा,
नको घाबरू तू असे बाळ त्यांचा
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।३।।

खरा होई जागा श्रद्धेसहित,
कसा होसी त्याविण तू स्वामिभक्त।
आठव! कितीदा दिली त्यांनीच साथ,
नको डगमगु स्वामी देतील हात
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी ।।४।।

विभूति नमननाम ध्यानार्दी तीर्थ,
स्वामीच या पंचामृतात।
हे तीर्थ घेइ आठवी रे प्रचिती,
ना सोडती तया, जया स्वामी घेती हाती ।।५।।

Lingashtakam Lyrics: लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् : ब्रह्मा मुरारी सुरार्चिता..

Lingashtakam Lyrics: लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् : ब्रह्मा मुरारी सुरार्चिता..

Lingashtakam Lyrics in Sanskrit

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।
जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥

अर्थ: मैं उस शाश्वत शिवलिंग को प्रणाम करता हूँ, जिसकी पूजा ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवताओं द्वारा की जाती है, जो शुद्ध और प्रकाशमय है, और जो जन्म के दुखों का विनाश करता है।

देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।
रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥

अर्थ: मैं उस शाश्वत शिवलिंग को प्रणाम करता हूँ, जिसकी पूजा देवता और श्रेष्ठ मुनि करते हैं, जो दयालु है, जो इच्छाओं को नष्ट करता है, और जिसने रावण के अहंकार को नष्ट कर दिया।

सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।
सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥

अर्थ: मैं उस शाश्वत शिवलिंग को प्रणाम करता हूँ, जो सभी प्रकार की सुगंधित वस्तुओं से अभिषिक्त है, जो बुद्धि और विवेक का कारण है, और जिसे सिद्ध, देवता और असुर सभी पूजते हैं।

कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।
दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥

Lingashtakam Lyrics in Hindi

अर्थ: मैं उस शाश्वत शिवलिंग को प्रणाम करता हूँ, जो महान स्वर्ण मणियों से अलंकृत है, जो सर्पराज द्वारा वेष्टित है, और जिसे दक्ष के हाथों से स्थानांतरित किया गया था।

कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।
सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥

अर्थ: मैं उस शाश्वत शिवलिंग को प्रणाम करता हूँ, जो केसर और चंदन से अभिषिक्त है, जो कमल के हार से सुशोभित है, और जो संचित पापों का नाश करता है।

देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥

अर्थ: मैं उस शाश्वत शिवलिंग को प्रणाम करता हूँ, जिसकी पूजा और सेवा देवगण करते हैं, जिसकी भक्ति से भवसागर से पार पाया जा सकता है, और जो करोड़ों सूर्यों की भांति प्रकाशमान है।

अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।
अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥

अर्थ: मैं उस शाश्वत शिवलिंग को प्रणाम करता हूँ, जिसकी पूजा अष्टदल कमल से की जाती है, जो संपूर्ण सृष्टि का कारण है, और जो आठ प्रकार की दरिद्रताओं का नाश करता है।

सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।
परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥

अर्थ: मैं उस शाश्वत शिवलिंग को प्रणाम करता हूँ, जिसकी पूजा देवताओं के गुरु और श्रेष्ठ देवता करते हैं, जो सदा दिव्य पुष्पों से अलंकृत रहता है, और जो परम परमात्मा है।

लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

अर्थ: जो कोई इस पवित्र लिंगाष्टक को भगवान शिव के समक्ष पढ़ता है, वह शिवलोक को प्राप्त करता है और शिव के साथ आनंदित होता है।

Lingashtakam Lyrics in English

Brahma Murari Surarchita Lingam Nirmala Bhasita Shobhita Lingam |
Janmaja Duhkha Vinaashaka Lingam Tat Pranamami Sada Shiva Lingam ||

Meaning: I bow before that eternal Shiva Lingam, which is worshiped by Brahma, Vishnu, and other gods, which is pure and resplendent, and which destroys the sorrows of birth.

Deva Muni Pravara Archita Lingam Kaama Daham Karunaakara Lingam |
Raavana Darpa Vinaashaka Lingam Tat Pranamami Sada Shiva Lingam ||

Meaning: I bow before that eternal Shiva Lingam, which is worshiped by the best of gods and sages, which is compassionate, which destroys desires, and which shattered the pride of Ravana.

Sarva Sugandhi Sulepita Lingam Buddhi Vivardhana Kaarana Lingam |
Siddha Sura Asura Vandita Lingam Tat Pranamami Sada Shiva Lingam ||

Meaning: I bow before that eternal Shiva Lingam, which is anointed with all kinds of fragrant substances, which is the cause of wisdom and intellect, and which is worshiped by Siddhas, gods, and demons alike.

Kanaka Maha Mani Bhushita Lingam Phanipati Veshtita Shobhita Lingam |
Daksha Suvarna Kara Chalita Lingam Tat Pranamami Sada Shiva Lingam ||

Meaning: I bow before that eternal Shiva Lingam, which is adorned with great golden jewels, which is encircled by the serpent king, and which was moved by the hands of Daksha.

Kunkuma Chandana Lepita Lingam Pankaja Haara Sushobhita Lingam |
Sanchita Paapa Vinaashaka Lingam Tat Pranamami Sada Shiva Lingam ||

Lingashtakam Lyrics in English

Meaning: I bow before that eternal Shiva Lingam, which is smeared with saffron and sandal paste, which is beautifully adorned with garlands of lotus flowers, and which destroys accumulated sins.

Deva Gana Archita Sevita Lingam Bhavair Bhaktibhireva Cha Lingam |
Dinakara Koti Prabhakara Lingam Tat Pranamami Sada Shiva Lingam ||

Meaning: I bow before that eternal Shiva Lingam, which is worshiped and served by multitudes of gods, which is worshiped with devotion, and which shines like millions of suns.

Ashta Dalopachita Poojita Lingam Sarva Samudbhava Kaarana Lingam |
Ashta Daridra Vinaashita Lingam Tat Pranamami Sada Shiva Lingam ||

Meaning: I bow before that eternal Shiva Lingam, which is worshiped with offerings of eight-petaled lotuses, which is the cause of all creation, and which destroys the eight types of poverty.

Sura Guru Sura Vara Poojita Lingam Sura Vana Pushpa Sadaa Archita Lingam |
Paraat Param Paramaatma Lingam Tat Pranamami Sada Shiva Lingam ||

Meaning: I bow before that eternal Shiva Lingam, which is worshiped by the teacher of gods and the best of gods, which is always adorned with flowers from the celestial gardens, and which is the supreme and ultimate soul.

Lingashtakam Idam Punyam Yah Pathet Shiva Sannidhau |
Shiva Lokam Avaapnoti Shivena Saha Modate ||

Meaning: Whoever recites this sacred Lingashtakam in the presence of Lord Shiva will attain the abode of Shiva and will rejoice with Him eternally.

Kal Sarp Dosh Nivaran Mantra: कालसर्प दोष निवारण मंत्र कालसर्प योग लिए मंत्र

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महामृत्युंजय मंत्र: (Maha Mrityunjaya Mantra)

अर्थ: हम त्रिनेत्र वाले भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो सभी जीवों को सुगंधित फल प्रदान करते हैं और जीवन को पोषण देते हैं। जैसे ककड़ी पककर बेल से अलग हो जाती है, वैसे ही हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त करें और अमरत्व प्रदान करें।

नाग गायत्री मंत्र: (Naag Gayatri Mantra Lyrics)

अर्थ: हम उन नौ कुलों के सर्पों को जानते हैं, जिनके दांत विषैले होते हैं। हम उनकी प्रार्थना करते हैं कि वे हमें प्रेरित करें और हमें सुरक्षा प्रदान करें।

काल सर्प दोष मंत्र: (Kaal Sarp Dosh Mantra)

अर्थ: पृथ्वी, आकाश और स्वर्ग में जितने भी सर्प हैं, उन सभी को हमारा नमस्कार हो। हम सभी सर्पों का आदर करते हैं और उनकी प्रार्थना करते हैं कि वे हमें सुरक्षा प्रदान करें।

अनंत काल सर्प मंत्र: (Anant Kaal Sarp Mantra)

अर्थ: अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कंबल, शंखपाल, धार्तराष्ट्र, तक्षक और कालिया, इन सभी महान सर्पों को हमारा प्रणाम हो।

राहु मंत्र: (Rahu Mantra)

अर्थ: हम राहु को प्रणाम करते हैं। “भ्रां” बीज मंत्र है जो राहु के प्रभाव को शांत करता है।

केतु मंत्र: (Ketu Mantra)

अर्थ: हम केतु को प्रणाम करते हैं। “स्रां” बीज मंत्र है जो केतु के प्रभाव को शांत करता है।

नाग पंचमी मंत्र: (Nag Panchami Mantra)

अर्थ: अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कंबल, शंखपाल, धार्तराष्ट्र, तक्षक और कालिया, इन सभी महान सर्पों को हमारा प्रणाम हो।

सर्प मंत्र: (Sarp Mantra)

अर्थ: हम सर्प देवता को प्रणाम करते हैं।

Sanskrit Shlok With Meaning : बच्चों के लिए 10 संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

Sanskrit Shlok With Meaning : बच्चों के लिए 10 संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

1. Sanskrit Shlok

हिन्दी अर्थ: किसी व्यक्ति को आप चाहे कितनी ही सलाह दे दो किन्तु उसका मूल स्वभाव नहीं बदलता ठीक उसी तरह जैसे ठन्डे पानी को उबालने पर तो वह गर्म हो जाता है लेकिन बाद में वह पुनः ठंडा हो जाता है.

Enhlish Meaning: No matter how much advice you give to a person, his basic nature does not change, just like when cold water is boiled, it becomes hot but later it becomes cold again.

2. Sanskrit Shlok

हिन्दी अर्थ : अच्छे लोग वही बात बोलते है जो उनके मन में होती है. अच्छे लोग जो बोलते है वही करते है. ऐसे पुरुषो के मन, वचन व कर्म में समानता होती है.

English Meaning: Good people say what is in their mind. Good people do what they say. Such men have consistency in their mind, words and actions.

3. Sanskrit Shlok

हिन्दी अर्थ : दो प्रकार के लोगो के गले में पत्थर बांधकर उन्हें समुद्र में फेंक देना चाहिए. पहले वे व्यक्ति जो अमीर होते है पर दान नहीं करते और दूसरे वे जो गरीब होते है लेकिन कठिन परिश्रम नहीं करते.

English Meaning: Two types of people should be thrown into the sea after tying stones around their necks. First are those who are rich but do not give charity and second are those who are poor but do not work hard.

4. Sanskrit Shlok

हिन्दी अर्थ : अगर कोई अपरिचित व्यक्ति आपकी सहायता करे तो उसे अपने परिवार के सदस्य की तरह ही महत्व दे वही अगर आपका परिवार का व्यक्ति आपको नुकसान पहुंचाए

English Meaning: If a stranger helps you, treat him like a family member, but if a family member harms you

5. Sanskrit Shlok

हिन्दी अर्थ : निम्न कोटि के लोगो को सिर्फ धन की इच्छा रहती है, ऐसे लोगो को सम्मान से मतलब नहीं होता. एक मध्यम कोटि का व्यक्ति धन और सम्मान दोनों की इच्छा करता है वही एक उच्च कोटि के व्यक्ति के सम्मान ही मायने रखता है. सम्मान धन से अधिक मूल्यवान है.

English Meaning: People of low class only desire money, such people do not care about respect. A middle class person desires both money and respect, while for a high class person only respect matters. Respect is more valuable than money.

6. Sanskrit Shlok

हिन्दी अर्थ : जिन लोगो के पास विद्या, तप, दान, शील, गुण और धर्म नहीं होता. ऐसे लोग इस धरती के लिए भार है और मनुष्य के रूप में जानवर बनकर घूमते है.

English Meaning: People who do not have knowledge, penance, charity, modesty, virtue and religion, such people are a burden on this earth and roam around like animals in human form.

7. Sanskrit Shlok

हिन्दी अर्थ : वह व्यक्ति जो अलग – अलग जगहों या देशो में घूमता है और विद्वानों की सेवा करता है उसकी बुद्धि उसी तरह से बढती है जैसे तेल का बूंद पानी में गिरने के बाद फ़ैल जाता है.

English Meaning: The person who travels to different places or countries and serves scholars, his wisdom increases in the same way as a drop of oil spreads after falling into water.

8. Sanskrit Shlok

हिन्दी अर्थ : किसी व्यक्ति के बर्बाद होने के 6 लक्षण होते है – नींद, गुस्सा, भय, तन्द्रा, आलस्य और काम को टालने की आदत.

English Meaning: There are six symptoms of a person being ruined – sleep, anger, fear, drowsiness, laziness and the habit of procrastinating.

9. Sanskrit Shlok

हिन्दी अर्थ : किसी जगह पर बिना बुलाये चले जाना, बिना पूछे बहुत अधिक बोलते रहना, जिस चीज या व्यक्ति पर विश्वास नहीं करना चाहिए उस पर विश्वास करना मुर्ख लोगो के लक्षण होते है.

English: Going to a place without being invited, talking too much without asking, trusting a person or thing that should not be trusted are the characteristics of foolish people.

10. Sanskrit Shlok

हिन्दी अर्थ : जिस तरह नदी पार करने के बाद लोग नाव को भूल जाते है ठीक उसी तरह से लोग अपने काम पूरा होने तक दूसरो की प्रसंशा करते है और काम पूरा हो जाने के बाद दूसरे व्यक्ति को भूल जाते है.

English: Just like people forget the boat after crossing the river, similarly people keep praising others till their work is completed and after the work is done they forget the other person.

Aarti Kunj Bihari ki – आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

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Ganesh Ji Ki Aarti: जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा

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Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics In hindi Jai Ganesh, Jai Ganesh,Jai Ganesh Deva जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।लड्डुअन का भोग लगे संत करें … Read more